आगरा। २०१२ के अंत से ठीक पहले और २०१३ के स्वागत में आगरा ने खासे बदलाव आए हैं। जगह -जगह खड़ी बैल, घोड़ा गाड़ी देखकर ऐसा लग रहा है मानों हम आधुनिक युग में नहीं बल्कि आज से ठीक पचास साल पीछे पहुंच गए हैं। एम रोड पर लगने वाले जाम से निपटने के लिए एम जी रोड से ऑटो रिक्शा का संचालन बंद कर दिया गया है। तथा उनके स्थान पर बसों का संचालन किया जा रहा है। लेकि न ऑटो चालकों ने एम जी रोड पर नहीं तो कहीं नहीं के नारे के कारण पूरे आगरा में हर एक चौराहे से ऑटो रिक्शें बंद हो चुके हैं। इसके स्थान पर चलाई जा रहीं जेनर्म की बसें सवारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचा पा रहीं हैं। इतना ही नहीं एमजी रोड पर हर एक मिनट बाद लेकिन अन्य रूटों पर आने जाने वालों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं। दुगना किराया देने के बाद भी समय से ऑफिस नहंी जा पा रहे हैं। न तो सिकंदरा से भगवान टॉकीज के लिए और न ही भगवान टॉकीज से राम बाग के लिए याता यात के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं। जहां भगवान टॉकीज से रामबाग के मात्र पांच रूपए लगते थे वहां बसों द्वारा दुगना किराया यानी दस रुपए बसूले जा रहें हैं। घंटों सड़क पर खेड़ होकर बसों का इंतजार करना पड़ रहा हैं। इसी बीच घोड़ा गाडिय़ां यातायात का साधन बनती नजर आ रही है। भगवान टॉकीज का नजारा ऐसा लग रहा है मानों पुराना दौर फिर से वापस आ गया है। तेज दौड़ भाग करने वाले आगरावासी फिर से धीमी गति पकडऩे पर मजबूर हैं। तीन किलोमीटर का किराया पन्द्रह से बीस रुपए तक वसूला जा रहा है। लेकिन इस सब की परवाह बंद गाडिय़ों में चलने वाले अफसरों के पास कहां हैं। ऑटो चालकों की हड़ताल का सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ा है। घर से निकलते ही जेब ढ़ीली होती जा रही है। इतना ही नहीं समय से न तो काम पर और न ही घर पर वापसी हो रही है। आगरा के हालातों को देखकर ऐसा लग रहा है मानों इस खूबसूरत शहर को किसी की नजर लग गई है।
Saturday, 22 December 2012
बैलगाडिय़ों की तरफ लौटा आगरा
आगरा। २०१२ के अंत से ठीक पहले और २०१३ के स्वागत में आगरा ने खासे बदलाव आए हैं। जगह -जगह खड़ी बैल, घोड़ा गाड़ी देखकर ऐसा लग रहा है मानों हम आधुनिक युग में नहीं बल्कि आज से ठीक पचास साल पीछे पहुंच गए हैं। एम रोड पर लगने वाले जाम से निपटने के लिए एम जी रोड से ऑटो रिक्शा का संचालन बंद कर दिया गया है। तथा उनके स्थान पर बसों का संचालन किया जा रहा है। लेकि न ऑटो चालकों ने एम जी रोड पर नहीं तो कहीं नहीं के नारे के कारण पूरे आगरा में हर एक चौराहे से ऑटो रिक्शें बंद हो चुके हैं। इसके स्थान पर चलाई जा रहीं जेनर्म की बसें सवारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचा पा रहीं हैं। इतना ही नहीं एमजी रोड पर हर एक मिनट बाद लेकिन अन्य रूटों पर आने जाने वालों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं। दुगना किराया देने के बाद भी समय से ऑफिस नहंी जा पा रहे हैं। न तो सिकंदरा से भगवान टॉकीज के लिए और न ही भगवान टॉकीज से राम बाग के लिए याता यात के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं। जहां भगवान टॉकीज से रामबाग के मात्र पांच रूपए लगते थे वहां बसों द्वारा दुगना किराया यानी दस रुपए बसूले जा रहें हैं। घंटों सड़क पर खेड़ होकर बसों का इंतजार करना पड़ रहा हैं। इसी बीच घोड़ा गाडिय़ां यातायात का साधन बनती नजर आ रही है। भगवान टॉकीज का नजारा ऐसा लग रहा है मानों पुराना दौर फिर से वापस आ गया है। तेज दौड़ भाग करने वाले आगरावासी फिर से धीमी गति पकडऩे पर मजबूर हैं। तीन किलोमीटर का किराया पन्द्रह से बीस रुपए तक वसूला जा रहा है। लेकिन इस सब की परवाह बंद गाडिय़ों में चलने वाले अफसरों के पास कहां हैं। ऑटो चालकों की हड़ताल का सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ा है। घर से निकलते ही जेब ढ़ीली होती जा रही है। इतना ही नहीं समय से न तो काम पर और न ही घर पर वापसी हो रही है। आगरा के हालातों को देखकर ऐसा लग रहा है मानों इस खूबसूरत शहर को किसी की नजर लग गई है।
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